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रोजगार और पुनर्वास की मांग : किसान सभा की अगुआई में सैकड़ों भूविस्थापितों ने फिर किया गेवरा खदान को बंद

रोजगार और पुनर्वास की मांग : किसान सभा की अगुआई में सैकड़ों भूविस्थापितों ने फिर किया गेवरा खदान को बंद
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गेवरा (कोरबा)। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ ने बरसों पुराने भूमि अधिग्रहण के बदले रोजगार व मुआवजा देने, पूर्व में अधिग्रहित जमीन की वापसी, खनन प्रभावित गांवों के बेरोजगारों को नियमित काम देने, शासकीय भूमि पर काबिजों को रोजगार, बसावट एवं मुआवजा देने, महिलाओं को स्वरोजगार देने, पुनर्वास गांव में बसे भू विस्थापितों को काबिज भूमि का पट्टा देने आदि 20 सूत्रीय मांगो को लेकर कल फिर 5 घंटे तक गेवरा खदान बंद करवा दिया। इससे प्रबंधन को करोड़ों रुपयों की क्षति हुई है। पुलिस और प्रबंधन की सख्ती भी आंदोलनकारियों को खदान में घुसने से नही रोक पाई। किसान सभा के प्रशांत झा, जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक, रोजगार एकता संघ के दामोदर श्याम, रेशम, रघु, सुमेन्द्र सिंह, दीना के साथ प्रभावित गांवों के भू विस्थापित बहतरीन बाई (पूर्व सरपंच), राहुल जायसवाल, बसंत चौहन, शिवदयाल कंवर, सुभद्रा कंवर, बीर सिंह कंवर, बसंत, कांति, प्रमिला, संजय यादव आदि ने आंदोलन का नेतृत्व किया।

पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार कल विजयनगर, नरईबोध, गंगानगर, मड़वाढोढा, भठोरा, भिलाईबाजार, रलिया, बरभांठा, गेवरा बस्ती, बरेली, भैसमाखार, मनगांव, रिसदी, खोडरी, सुराकछार बस्ती, जरहाजेल, दुरपा, बरपाली, बरकुटा, बिंझरा, पंडरीपानी, कोसमंदा, खम्हरिया, बरमपुर, दुल्लापुर, सोनपुरी, जटराज, पाली पड़निया, पुरैना, कुचैना, मलगांव, ढुरैना, दादरपारा एवं अन्य गांवों के भूविस्थापित कुसमुंडा में पुलिस को चकमा देकर और गेवरा में पुलिस को पीछे धकेलकर खदान में घुसने में कामयाब रहे। खदान घुसते ही उन्होंने कोयला और मिट्टी के खनन कार्य को पूर्ण रूप से बंद करा दिया गया। आंदोलनकारियों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं, जिन्होंने खदान परिसर में ही खाना बनाना शुरू कर दिया था।


आंदोलनकारी नेताओं से वार्ता के बाद एसईसीएल प्रबंधन ने घोषणा की है कि पुराने अर्जन प्रकरणों में भूविस्थापित 30 नवंबर तक एरिया ऑफिस में जमीन के बदले रोजगार के लिए आवेदन कर सकते हैं, साथ ही पुराने अर्जन मामलों में जिनकी फाइल बिलासपुर में है, उन्हें 30 नवंबर तक रोजगार देने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। नरईबोध में शासकीय भूमि पर काबिजों को पूर्व बसावट और मुआवजा के बिना विस्थापित नहीं किया जाएगा तथा आउट सोर्सिंग कंपनियों में प्रभावितों को रोजगार देने में प्राथमिकता दी जाएगी। कटघोरा एसडीएम ने छोटे खातेदारों को रोजगार देने के संबंध में एसईसीएल को पत्र लिखने का आश्वासन दिया। 20 सूत्रीय मांगों पर सकारात्मक चर्चा और 5 घंटों की खदनबंदी के बाद आंदोलन समाप्त हुआ।


किसान सभा ने ऐलान किया है कि उनका आंदोलन जारी रहेगा और तभी खत्म होगा, जब एसईसीएल प्रबंधन रोजगार, मुआवजा, बसावट के सवाल पर उनके पक्ष में निर्णायक फैसला करेगा। इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए पिछले 10 दिनों से अभियान चल रहा था। नतीजे में बड़ी संख्या में भू विस्थापित किसान और महिलाओं ने धान कटाई को छोड़कर अपने अधिकार को पाने के लिए सड़कों पर उतरे।


प्रशांत झा
सचिव, कोरबा, छ्ग किसान सभा
(मो) 76940–98022

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